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CG HIGHCOURT ORDER | हाईकोर्ट ने जब्त वाहनों की सुपुर्दनामा रिहाई को दी मंजूरी

 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अवैध खनन मामलों में जब्त वाहनों के रखरखाव और रिहाई को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने स्पष्ट किया कि लंबे समय तक पुलिस थाने के खुले परिसर में वाहनों को रखना उचित नहीं है, क्योंकि इससे वाहन खराब हो जाते हैं और उनका मूल्य घटता है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि ऐसे वाहनों को सुरक्षित उपायों के साथ रजिस्टर्ड मालिक को सुपुर्दनामा (अंतरिम हिरासत) पर रिहा किया जा सकता है।

मामला CRMP No. 3456 of 2025 का था, जिसमें याचिकाकर्ता प्रमोद कुमार ने अपनी ट्रॉली (CG-11-AR-5734) की अंतरिम रिहाई की मांग की थी। यह वाहन 16 जून 2025 को अवैध रेत परिवहन के आरोप में जब्त किया गया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वाहन उसका रजिस्टर्ड संपत्ति है और वह इसे कृषि और घरेलू कार्यों में उपयोग करता है।

निचली अदालत ने 23 सितंबर 2025 को सुपुर्दनामा आवेदन खारिज कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द करते हुए वाहन की अंतरिम रिहाई के निर्देश दिए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दो प्रमुख फैसलों का हवाला दिया:

सुंदरभाई अंबालाल देसाई बनाम स्टेट ऑफ गुजरात (2002) – जब्त संपत्ति की रिहाई के लिए शीघ्र आदेश पारित करना जरूरी, वाहन को लंबे समय तक हिरासत में रखना उचित नहीं।

मुल्तानी हनीफभाई कलुभाई बनाम स्टेट ऑफ गुजरात (2013) – खुले में रखे वाहन मौसम की मार से खराब हो सकते हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि MMDR एक्ट के मामलों में भी यही सिद्धांत लागू होंगे। रिहाई से पहले स्वामित्व सत्यापन, पंचनामा, फोटोग्राफ और उचित सुरक्षा (पर्सनल बॉन्ड/सुरे्टी) अनिवार्य है।

वरिष्ठ अधिवक्ता भारत सेन ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांतों को पुनर्जीवित करता है और निर्दोष नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। उनका कहना है कि इससे लाखों किसानों, ठेकेदारों और आम लोगों को न्याय मिलेगा और पुलिस व निचली अदालतों पर अनावश्यक बोझ कम होगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला अवैध खनन रोकथाम और मालिकों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाएगा और राज्य में न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाएगा।

 

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