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HIGHCOURT REVIEW PETITION | सुप्रीम कोर्ट से हार के बाद फिर हाईकोर्ट, 50 हजार का झटका

 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं के बढ़ते चलन और न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग पर कड़ा संदेश दिया है। कोर्ट ने एक सरकारी कर्मचारी की रिव्यू याचिका को खारिज करते हुए उस पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी ठोक दिया।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने साफ शब्दों में कहा कि पुनर्विचार याचिका अपील का विकल्प नहीं है और बार-बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाना कानून की भावना के खिलाफ है।

यह मामला सरकारी कर्मचारी संजीव कुमार यादव से जुड़ा है। उनके खिलाफ जिला पंचायत जशपुर और आयुक्त सरगुजा संभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में विभागीय जांच की गई थी। जांच में दोषी पाए जाने पर उनके चार वार्षिक वेतनवृद्धि को संचयी प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया था।

इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता पहले हाईकोर्ट पहुँचा, लेकिन 23 जनवरी 2025 को रिट याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद रिट अपील भी खारिज हुई। मामला यहीं नहीं रुका और याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जहां 8 अगस्त 2025 को एसएलपी भी खारिज कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने दोबारा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी। दलील दी गई कि एसएलपी गुण-दोष के आधार पर खारिज नहीं हुई है, इसलिए रिव्यू बनता है। साथ ही पूर्व आदेश में तथ्यात्मक त्रुटि का भी दावा किया गया।

हाईकोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रिव्यू का दायरा बेहद सीमित होता है। इसे दोबारा सुनवाई के मंच की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि याचिकाकर्ता ने हर स्तर पर वकील बदलने की रणनीति अपनाई, जो न्याय के हित में नहीं है।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि बार-बार याचिकाएं दायर कर न्यायिक समय का दुरुपयोग किया गया है। खंडपीठ के अनुसार यह मामला 2 लाख रुपये के हर्जाने के योग्य था, लेकिन वकील द्वारा बिना शर्त माफी मांगे जाने पर हर्जाना घटाकर 50 हजार रुपये किया गया।

कोर्ट ने आदेश दिया कि यह राशि एक माह के भीतर हाईकोर्ट रजिस्ट्री में जमा करनी होगी। यह रकम शासकीय विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरण, गरियाबंद को दी जाएगी। तय समय में राशि जमा नहीं करने पर इसे भू-राजस्व बकाया की तरह वसूला जाएगा।

 

 

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