पिछले लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में 39 में से 37 सीटें जीतने वाली अन्नाद्रमुक की घेराबंदी के लिए द्रमुक (DMK) के नेतृत्व में आठ दल एकजुट हो रहे हैं। पिछले चुनाव में द्रमुक और कांग्रेस को लोकसभा की एक भी सीट नहीं मिली थी। पर इस बार द्रमुक का दावा है कि उनका गठबंधन अन्नाद्रमुक का सफाया करने में सफल रहेगा और राज्य की ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करेगा।
तमिलनाडु में द्रमुक के साथ कांग्रेस के अलावा तीन वामपंथी दल, मुस्लिम लीग, एमडीएमके और वीसीके चुनाव लड़ने पर सहमत हैं। पीएमके को साथ लेने की बात भी चल रही है। हालांकि अभी सहमति नहीं बन पाई है। वह ज्यादा सीटें मांग रही है लेकिन इतने दलों के बीच उसे ज्यादा सीटें दे पाना संभव नहीं हो पा रहा है। द्रमुक के वरिष्ठ नेता तिरुचि शिवा ने ‘हिन्दुस्तान’ को विशेष बातचीत में बताया कि हमारा गठबंधन करीब-करीब तैयार है। सिर्फ सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत होनी है। इसके लिए द्रमुक ने दो समितियां बनाई हैं। एक घोषणापत्र बनाने पर कार्य कर रही है, जबकि दूसरी गठबंधन दलों से सीटों को लेकर कांग्रेस व अन्य दलों से बातचीत कर रही है। जल्दी सीटों का बंटवारा कर लिया जाएगा।
तमिलनाडु में एकजुट विपक्ष केंद्र एवं राज्य सरकार की विफलताओं को चुनावी मुद्दा बना रहा है। शिवा कहते हैं कि दोनों सरकारों के कामकाज और विफलताओं को लेकर जनता में नाराजगी है। दूसरे, राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप, देश के विभिन्न राज्यों की विविधताओं को खत्म कर पूरे देश में एक नीति लागू करने के प्रयासों, राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार आदि को प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा। वे कहते हैं कि यदि राज्य में भाजपा और अन्नाद्रमुक के बीच समझौता होता भी है तो जमीनी स्तर पर इसका कोई फायदा उसे नहीं होगा। शिवा के अनुसार हाल में एक उपचुनाव में भाजपा को जितने वोट मिले उससे ज्यादा वोट नोटा में पड़े थे। इसलिए भाजपा का वहां कोई भविष्य नहीं हैं।
प्रियंका ने प्रचार किया तो फायदा होगा
द्रमुक के अनुसार उनका गठबंधन मजबूत है। लोगों का समर्थन उसे मिल रहा है। इसके बाद यदि प्रियंका गांधी राज्य में प्रचार के लिए आती हैं तो इससे फायदा होगा। पार्टी कांग्रेस से यह अनुरोध भी कर सकती है कि चुनाव के दौरान प्रियंका राज्य में प्रचार पर आएं।