CG CONGRESS | कांग्रेस का नया खेल, शहर अध्यक्ष पद ब्राह्मण समाज को?

रायपुर, 7 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला और शहर अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। पार्टी ने नई कार्यप्रणाली अपनाते हुए दिल्ली के पर्यवेक्षकों के माध्यम से प्रदेशभर में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू की है।
नया सिस्टम, नए चेहरे
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने तय किया है कि पर्यवेक्षक प्रत्येक जिले/नगर में जाकर कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे और अपने अभिमत के आधार पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महामंत्री के नाम सिफारिश करेंगे। इस प्रक्रिया में जो नेता बैठक में अधिक भीड़ जुटाएगा, चाहे वह पुराने और विचारधारा परिपक्व नेता न हो, उसे प्राथमिकता मिलेगी।
पुराने नेता और परिवार पीछे
सूत्रों के अनुसार, शुक्ला-वोरा परिवार, प्रमोद चौबे, ठाकुर परिवार और प्रमोद दुबे जैसे पुराने और वरिष्ठ कांग्रेसजन अब घर बैठे रह गए हैं। उनका नगण्य योगदान और सक्रियता के अभाव के कारण, नए नवेले नेता और “नाड़ा-पायजामा” नेता अधिक प्रभावशाली माने जा रहे हैं।
राजनीतिक सरगर्मी और बदलाव
राज्य में भाजपा की पूरी कार्यकारिणी बनने के बाद कांग्रेस पर जल्द कार्यकारिणी बनाने का दबाव है। पर्यवेक्षक आने के बाद माहौल में और तेजी आई है।
कांग्रेस में अब पदों पर पहुँचने के लिए निष्ठा के बजाय रसूख और पैसे का महत्व बढ़ गया है। इसके चलते पुराने विचारधारा-समर्थक नेता हासिए पर हैं, जबकि नए और चमचागिरी करने वाले नेता पदों पर काबिज हो रहे हैं।
समुदाय और दावेदारी
कांग्रेस पहले मुस्लिम नेताओं को शहर अध्यक्ष पद देती थी, जैसे स्व. अब्दुल हमीद हयात और स्व. इकबाल अहमद रिजवी। अब ब्राह्मण और अन्य समुदायों के नेताओं को शहर अध्यक्ष बनाने की योजना बनाई जा रही है। इसके साथ ही भूपेश बघेल समर्थक नए नवेले जोगी कांग्रेस कार्यकर्ता और परदेशिया समूह भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
कांग्रेस के संगठन चुनाव में अब पुराने अनुभव और विचारधारा की जगह नए नेताओं की भीड़ और रसूख निर्णायक भूमिका निभा रहा है। इस बदलते राजनीतिक माहौल में देखना होगा कि कांग्रेस कितनी मजबूती से अपनी विचारधारा और पारंपरिक नेताओं को बचा पाती है, और पदों पर पहुँचने के खेल में नया समीकरण किसे फायदा पहुँचाता है।



