छत्तीसगढ़

संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा अनियमित कर्मचारियों की घटनी के विरोध में हड़ताल पर

रायपुर। छत्तीसगढ़ संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ द्वारा अनियमित कर्मचारियों की घटनी पर तत्काल रोक लगाने व बाहर किए गए अनियमित कर्मचारियों की बहाली किए जाने को लेकर रायपुर राजधानी के बूढ़ापारा धरना स्थल पर प्रदेश के हजारों अनियमित कर्मचारी एक जुट हुए।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल प्रसाद साहू व प्रदेश प्रवक्ता धर्मेन्द्र सिंग राजपूत ने बताया कि अलग-अलग विभाग से अब तक लगभग 5 हजार अनियमित कर्मचारियों की छटनी की जा चुकी है और छटनी निरन्तर जारी है जबकि कांग्रेस के घोषणा पत्र में मियमितीकरण किया जावेगा व छटनी नहीं कि जावेगी, श्री बघेल हमेशा कहा जाता है कि सरकार अपने घोषणा पत्र को आअक्षर पूण4 करेगी, परंतु इस घोषणा पत्र के विपरीत कुछ लालफीता शाही अधिकारी घोषणा पत्र के विपरित निर्णय ले रहे है और अनियमित कर्मचारियों को नियम की दहाई देकर अपने व्यक्तिगत कोप का भागीदार बनाकर उनकी छटनी करने पर आमादा है और इस घोषणा पत्र का मजाक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
महासंघ के संरक्षक विजय कुमार झा और प्रदेश सचिव राजकुमार कुशवाहा ने बताया कि प्रदेश में 2 लाख अनियमित कर्मचारी है जिन्हें नियमित किया जाना है और अनियमित कर्मचारियों को 62 वर्ष की नौकरी की सुरक्षा प्रदान की जावे जिसमें सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आयेगा। महासंघ के प्रदेश प्रवक्ता राधेश्याम देवांगन, ग्वालाप्रसाद यादव, रामकुमार साहू ने बताया कि नियमित कर्मचारियों के स्थान्तर से उस पद पर सालो से कार्यरत अनियमित कर्मचारियों को भी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है उनके परिवार पर आर्थिक संकट के बचने के लिए उन्हें उसी विभाग में समायोजित किया जावे।
महासंघ द्वारा शासन प्रशासन को कई बार अनियमित कर्मचारी को नियमित करने का सकारात्मक पहल नहीं की गई इससे व्यथित होकर आंदोलन के अलावा अनियमित कर्मचारियों के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। छटनी पर रोक लगाने व 62 वर्ष की नौकरी की सुरक्षा ठेका प्रथा बंद कर उसमें कार्यरत कर्मचारियों को संयोजित किए जाने अंशकालीन को पूर्ण कालीन किए जाने व मानदेय में बढ़ोतरी किए जाने को लेकर प्रदेश अध्यक्ष गोपाल प्रसाद साहू एवं प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
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खरीदी प्रक्रिया में विलंब होने के कारण इस बार नीलगिरी पौधा रोपण नहीं
देरी की वजह से खरीदी प्रक्रिया निरस्त
रायपुर। वन विभाग इस बार नीलगिरी के पौधे नहीं लगाएगा। बताया गया कि खरीदी प्रक्रिया में विलंब होने के कारण फैसला लिया गया है। इस साल भी करीब साढ़े चार करोड़ से अधिक पौधे लगाने की तैयारी थी। पिछले सालों में नीलगिरी के पौधा रोपण में अनियमितता की शिकायतें आई है। कई जगहों पर उन्हीं फर्मों से खरीदी की गई, जो कि ब्लैक लिस्टेड थी। इस बार भी सात करोड़ पौधे खरीदने की तैयारी चल रही थी। पिछले दिनों खरीदी प्रक्रिया को लेकर काफी मंथन भी हुआ। बैठक में यह बात उभरकर सामने आई कि अभी खरीदी होती है, तो एक महीने बाद ज्यादातर नीलगिरी के पौधे खराब हो जाएंगे। चूंकि इसमें काफी विलंब हो चुका है इसलिए खरीदी का कोई औचित्य नहीं है। आखिरकार विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर ने खरीदी के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया।
बताया गया कि क्लोनल नीलगिरी के पौधे खरीदी की प्रक्रिया से नाराज हुए और उन्होंने कहा कि जो प्रक्रिया अपनाई गई है वह कंपटीशन 2002 प्रक्रिया का उल्लंघन कर रही है इसलिए खरीदी निरस्त की जाती है प्रदेश के अधिकांश डीएफओ ने पुरानी प्रक्रिया के तहत ही नीलगिरी पौधा खरीदी करने के लिए निविदा आमंत्रित कर ली थी वन मंत्री मोहम्मद अकबर के पास जब यह फाइल अनुमोदन के लिए पहुंची तो उनका माथा ठनका पूरी प्रक्रिया को उन्होंने निरस्त कर दिया और आदेश दिया कि 7 करोड़ तेरा लाख नीलगिरी पौधे के स्थान पर विभाग सिर्फ 4 करोड़ 55 लाख पौधे ही लगाएगी।
बताया गया कि जब वन विभाग ने जेएम पोर्टल से क्लोनिल नीलगिरी पौधे खरीदने की प्रक्रिया अपनाई जिसमें पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय प्रति पौधा 6 रुपए 95 पैसे में खरीदी की गई थी उसका रेट अभी2 रुपए 68 पैसे प्रति पौधा का टेंडर आया ओपन टेंडर का यह लाभ विभाग को मिला इसी प्रक्रिया के तहत अब पौधे खरीदे जाएंगे और वृक्षारोपण किया जाएगा।

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