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कोरोना की तीसरी लहर में सिर्फ 23% मरीजों को पड़ रही है ऑक्सीजन की जरूरत : स्टडी

नई दिल्ली. दुनिया भर में कोरोना की तीसरी लहर का कहर जारी है लेकिन हमारे लिए सुकून की बात यह है कि इस बार कोविड पहली या दूसरी लहर की तुलना में कम घातक है. 13 निजी अस्पतालों के चेन मैक्स हेल्थकेयर ने अपने अध्ययन में पाया है कि इस बार कोरोना पीड़ित चार में से एक से भी कम मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान संक्रमित अधिकांश लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती थी. पिछले साल अप्रैल में तो ऑक्सीजन के लिए पूरे देश में हाहाकार मच गया था और अस्पतालों में हजारों लोगों की जान सिर्फ इसलिए चली गई थी क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिला.

दूसरी लहर में 74 फीसदी मरीज ऑक्सीजन पर
मैक्स अस्पताल ने अपने डाटा विश्लेषण के आधार पर कहा है कि पिछले साल अप्रैल से मई के दौरान कोरोना संक्रमित चार में से तीन व्यक्ति को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी. पहली लहर के दौरान जितने लोगों को मैक्स अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें से 63 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया था जबकि पिछले साल दूसरी लहर के दौरान 74 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी. पहली और दूसरी लहर से तुलना करें तो इस बार सिर्फ 23.4 प्रतिशत मरीजों को ही ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है.

इस बार एक दिन में सिर्फ 415 मरीज
मैक्स के मुताबिक हालांकि इस बार भी संक्रमित लोगों की संख्या उतनी ही है लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या पहली और दूसरी लहर की तुलना में बहुत कम है. मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डाइरेक्टर डॉ संदीप बुद्धिराजा ने कहा, दिल्ली में दूसरी और तीसरी लहर के दौरान लगभग 28 हजार मामले रोजाना आए. अगर इस लिहाज से देखें तो हमारे अस्पतालों में दूसरी लहर के दौरान यानी पिछले साल 2000 मरीज रोजाना आए जबकि इस बार सिर्फ 415 मरीजों की भर्ती हमारे अस्पतालों में हुई. इतना ही नहीं पिछली बार जितने लोगों को हमने अपने अस्पतालों में भर्ती किया, उनमें से 70 प्रतिशत को ऑक्सीजन सपोर्ट देना पड़ा. इस बार सिर्फ 25 प्रतिशत को ही इसकी जरूरत पड़ रही है. वह भी उनको जिन्हें आईसीयू की जरूरत पड़ती है. इससे भी अच्छी बात यह है कि पिछले दो सप्ताह से लगातार आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत में कमी आ रही है.

आईसीयू की भी कम जरूरत
डॉ संदीप बुद्धिराज ने कहा, ओमिक्रॉन वेरिएंट अपेक्षाकृत कम घातक है और इस वेरिएंट से संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने और ऑक्सीजन व आईसीयू बेड्स की जरुरत कम होती है. वहीं कोरोना की पहली लहर में मृत्यु दर का आंकड़ा 7.2 फीसदी रहा जो कि दूसरी लहर में बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गया. जबकि मौजूदा लहर में यह आंकड़ा 6 फीसदी दर्ज किया गया है. मैक्स के मुताबिक देश में बड़ी आबादी का कोरोना वैक्सीनेशन होने के कारण मौत के आंकड़ों में कमी आई है. एक डाटा के अनुसार मौजूदा लहर में कोविड-19 से हुई कुल 82 मौतों में से 60 फीसदी मौतें उन लोगों की हुई जिनका आंशिक टीकाकरण या वैक्सीनेशन नहीं हुआ था. (news18.com)

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