बंधवापारा में नगर निगम का स्वास्थ्य केंद्र बदहाल, मरीजों को प्राथमिक इलाज तक नहीं मिल रहा
हो रही अनदेखी
बिलासपुर। शहर के बंधवापारा स्थित नगर निगम के स्वास्थ्य केंद्र का हाल-बेहाल है। कहने को तो यह अस्पताल है, मगर यहां मरीजों को प्राथमिक इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। इस संबंध में यहां के रहवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं, फिर भी निगम अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में यूं तो 24 घंटे डिलिवरी सुविधा होनी चाहिए, लेकिन ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्गों में इस निसम का पाल नहीं हो रहा है। निगम ने बंधवापारा में स्वास्थ्य केंद्र तो खोल दिया है, मगर उस पर ध्यान नहीं दे रहा है। यहर वजह है कि यहां मरीजों को प्राथमिक इलाज तक नसीब नहीं। डिलिवरी की तो बात ही दूर। गौरतलब है कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाएं देने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग ने शहर में शहरी स्वास्थ्य केंद्र तो खोल रखे हैं, मगर उनके रख-रखाव की जरूरत कभी महसूस नहीं की। यही कारण है कि शहर के सारे स्वास्थ्य केंद्र बदहाल हैं। बंधवापारा का स्वास्थ्य केंद्र एक कमरे के भवन में चल रहा है। एक छोटे से कमरे में एक ही जगह डॉक्टर, वार्ड ब्वाय का टेबल लगा है। यहां दवाएं व मरहम पटअी होनी चाहिए वो भी पर्या’ मात्रा में नहीं है। इस अस्पताल में प्राथमिक इलाज के साथ ही प्रसूता की डिलवरी भी करानी है। इसके लिए उन्हें भर्ती करने चार बेड होने चाहिए, जो नहीं हैं। अलग से डिलवरी रूम भी नहीं हैं। जिसके कारण मोहल्लेवासीयों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
० हो रही अनदेखी
बंधवापारा के रहवासियों का कहना है कि यहां बने नगर निगम का अस्पताल कोई काम का नहीं। इमरजेंसी में भी वे इस अस्पताल से कोई आशा नहीं रहते। वार्ड के पार्षद विनोद गुप्ता का कहना है कि उन्होंने कई बार जिला प्रशासन को अस्पताल को डेव्हलप करने, डिलिवरी व्यवस्था बनाने पत्र लिखा, पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। यहां का स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा है।
० 2० हजार से ज्यादा लोगों की आस पर फिर रहा पानी
बंधवापार से लगे मोहल्लों, इमलीभाठा के अलावा आस-पास के क्ष्ोत्र के लिए यह एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र है। यहां निवासरत 2० हजार से ज्यादा लोगों के लिए यह शासकीय अस्पताल है, लेकिन के रहवासियों के लिए यह किसी काम का नहीं रह गया है। छिट-पुट प्राथमिक इलाज के लिए भी लोगों को जिला अस्पताल या सिम्स जाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि या इस अस्पताल की व्यवस्था सुधारी जाए या फिर इसे बंद कर दिया जाए। जिससे उन्हें इसे लेकर कोई आस न रहे।