छत्तीसगढ़

पराजित और हताश नेताओं के हाथ प्रचार की कमान, जूदेव परिवार बहार

ऐसे में कहां सफल होगी भाजपा

रायपुर। राज्य की सत्ता गंवाने के बाद लोकसभा की 11 सीटों के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची से जूदेव परिवार को बाहर कर दिया है। दिलचस्प यह है कि इसमें ऐसे सारे नेताओं को शामिल किया गया है जो खुद अपने विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके हैं। ऐसे में 40 नेताओं की सूची को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा कहां ठहरने वाली है।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य के 11 लोकसभा क्षेत्रों के लिए अपने सारे उम्मीदवार बदल दिए।यह फैसला शायद इसलिए लिया गया है कि जनता के बीच नए चेहरे दिए जाएं। हालांकि नए चेहरे खोजने में भाजपा को पसीना आ गया फिर भी चेहरे वैसे नहीं मिले जिन्हें एक नजर में लोग पसंद कर लें। अब बात आती है चुनाव प्रचार की। इसके लिए भी जो स्टार प्रचारकों की सूची बनी है उसमें ऊपर के बड़े नामों को छोड़ दें तो राज्य स्तर के सारे ऐसे नाम शामिल किए गए हैं जो खुद ही फ्यूज बल्ब साबित हो चुके हैं। इस सूची में जूदेव परिवार बाहर कर दिया गया है। कभी भाजपा को सत्ता दिलाने के लिए अपनी मूंछे दांव पर लगाने वाले स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के परिवार का अब वैसा दबदबा नहीं रहा। इसकी वजह जूदेव परिवार की आपसी द्वंद को भी माना जा सकता है। जूदेव परिवार से राज्यसभा सांसद रणविजय सिंह जूदेव, युद्धवीर प्रताप सिंह जूदेव ,प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, प्रियंवदा सिंह जूदेव जैसे नाम अभी भी राजनीति में है।लेकिन इस चुनाव में लगता है भाजपा ने इस परिवार को अब पूरी तरह किनारे कर दिया है। पर जशपुर और सरगुजा इलाके की समझ रखने वाले लोगों का मानना है कि अभी भी अलग अलग ही सही लेकिन जूदेव परिवार के सदस्यों की प्रतिष्ठा उन नेताओं से ज्यादा है जो खुद अपने अपने विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके। इस सूची में सौदान सिंह और पवन साहेब जैसे नाम भी है जिन्हें शायद पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा कोई जानता भी नहीं ।अब भाजपा उन नेताओं के भरोसे फील्ड पर है जिनका खुद टिकट कटा है या वे जो अपने अपने इलाके में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।इन नेताओं के आगे पूर्व मंत्री लगा है, शायद भाजपा इस नाते उन्हें अभी भी बड़ा नेता मान रही है।लेकिन जमीनी हालात बिल्कुल अलग हैं। लोग ऐसे चेहरों को देखकर उकता चुके हैं। ऐसे में इनकी वोट अपील कहां तक असर करेगी यह चुनाव परिणाम ही बताएंगे। जहां तक सवाल जूदेव परिवार का है तो जशपुर जिले की तीनों सीटें गवां कर इस परिवार ने अपनी प्रतिष्ठा कमजोर कर ली है।पूर्व में यह माना जा रहा था कि कोरबा की प्रतिष्ठा पूर्ण सीट से सांसद रणविजय सिंह को चुनाव लड़ाया जा सकता है। लेकिन बाद में भाजपा ने ज्योति नंद दुबे का नाम फाइनल किया।इस नाम को लेकर भी पूरे इलाके में विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं ।इधर कोरबा इलाके में लखन देवांगन तो उधर कोरिया क्षेत्र में दीपक पटेल जैसे नेता खुले तौर पर विरोध जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा की राह आसान नहीं है। फिर दूसरी तरफ डॉ चरणदास महंत जैसे बड़े नेता की धर्मपत्नी चुनाव मैदान में है।ऐसे में भाजपा के लिए इस मैदान में जीत हासिल करना आसान नहीं होगा। भाजपा के नेता दबी जुबान से यह कह रहे हैं कि बिलासपुर और सरगुजा संभाग में यदि जूदेव परिवार का बेहतर तरीके से अलग अलग सदस्यों का उपयोग किया जाता तो फायदा ना सही, नुकसान तो नहीं होता लेकिन भाजपा अब अलग राह पर चल पड़ी है। यदि इस राह पर उसे जीत मिल गई तो केंद्रीय नेतृत्व यह बताने में सफल हो जाएगा कि भाजपा अब नई टीम के साथ राज्य में काम करेगी।और यदि विफल हो जाते हैं तो यह समझ में आ जाएगा कि भाजपा को फिर नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ेगी।यह बात जाहिर है कि भाजपा ने 15 साल की सत्ता में रहते हुए केवल प्रथम पंक्ति तैयार की जो सत्ता सुख भोग रही थी। इसके बाद सारा मैदान साफ है। कार्यकर्ता नाराज हैं और बाकी नेता हताश। ऐसे में भाजपा यहां मोदी मूवमेंट को आगे बढ़ाती नहीं दिख रही है।

Related Articles

Back to top button