छत्तीसगढ़

बगैर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के राज्यपाल शामिल हुई विश्व आदिवासी के समारोह में

कोई भी शोषित-वंचित राजभवन का दरवाजा घटघटाए तो न्याय दिलाने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा: सुश्री उइके* राज्यपाल ने नर्तक दलों की प्रस्तुति से खुश होकर दिया नगद पुरस्कार

रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल के आग्रह को तत्काल स्वीकार करते हुए बगैर निधारित कार्यक्रम के अचानक धमतरी जिले के कृषि उपज मंडी के प्रांगण में आयोजित समारोह में शामिल होने पहुची। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित आदिवासी समाज के लोगो को आश्वस्त किया कि भारतीय संविधान के तहत प्रदत अधिकारों का उन्हें लाभ मिले। राज्यपाल ने कहा कोई पीड़ित व्यक्ति को जब सभी जगह से न्याय न मिले तो वह राजभवन का दरवाजा खटखटा सकता है, उसे न्याय दिलाने का हर सम्भव प्रयास किया जाएगा।
ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ में और मगरलोड में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने वाली पहली राज्यपाल सुश्री उइके है। उन्होंने इस पर उपस्थित सभी लोगों और प्रदेशवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं आदिवासी क्षेत्र में आकर यहाँ की समस्याओं से वाकिफ होना चाहती थी, इसीलिए मैंने आज इस कार्यक्रम में आई।
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोग बहुत भोले भाले होते हैं, इसी वजह से उनका शोषण होता है। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग शिक्षा पर अधिक ध्यान देवें ताकि वे जागरूक हो सकें और शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष के रुप में झारखंड के राऊरकेला के वंचित 3000 लोगो को जमीन दिलाई गई और मुआवजा की राशि दिलाई गई। राज्यपाल ने इस अवसर पर कोलांग नृतक दल और रंगतरंग दल को नगद पुरस्कार दिया। राज्यपाल ने कार्यक्रम के प्रारंभ मे बूढ़ा देव् और आंगादेव की पूजा अर्चना की।
इस अवसर राष्ट्रीय जनजातीय आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग जहां भी रहे हैं वहां के जल जंगल की उन्होंने रक्षा की है। उन्होंने कहा है कि जल जंगल और पर्यावरण की सुरक्षा करने वाले आज खुद संवधिान में प्रदत्त अधिकारों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। आदिवासी समाज में कई ऐसे महापुरूष हुए हैं, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया है। हमें इस अवसर पर उनके द्वारा दिए गए योगदान को स्मरण करना चाहिए। हमारे आदिवासी समाज में एक विविधता एवं विशिष्टता भी है, लेकिन जरूरत एकजुटता की है। मेरा समाज से आग्रह है कि वे जागरूक हों और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करें और शासन के योजनाओं आगे आकर लाभ उठाएं।
सिहावा विधायक श्रीमती लक्ष्मी धु्रव ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में शासन द्वारा शिक्षा के विभिन्न प्रयास किए गए हैं परन्तु अन्य अभी भी शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत सुविधा के क्षेत्र में और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए समय समय पर प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन उन क्षेत्रों में और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर पूर्व विधायक श्री श्रवण मरकाम, श्रीमती पिंकीशाह, सर्व आदिवासी समाज गोंड महासभा प्रातंाध्यक्ष श्री नवल सिंह मंडावी, जिलाध्यक्ष श्री जे. एल. मरई, श्री विनोद नागवंशी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक और आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।

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