छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या आधी हो गई, प्रदेश में केवल 19 बाघ रह गए
रायपुर। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 2018 में हुए बाघों की गणना के आंकड़े जारी किया है। जिसमें करीब सभी राज्यों में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है। आकड़ों के मुताबिक देशभर में करीब 3 हजार टाइगर हैं और चार साल में 774 बाघ बढ़कर संख्या 3 हजार हो गई है। लेकिन छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या आधी हो गई है। प्रदेश में केवल 19 बाघ रह गए है, जबकि 2014 में इनकी संख्या 46 थी। छत्तीसगढ़ में बाघों की घटती संख्या चिंताजनक है।
बाघों की संख्या कम होने में कहीं न कहीं वन विभाग के अधिकारियों की भी लापरवाही है। इसके लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं। बाघों की सुरक्षा के लिए कई ठिकाने ऐसे है जहां पूरी तरह से व्यवस्था तक नहीं बन पाई है। उनकी निगरानी में काम कर रहे मजदूरों को भी मजदूरी कई महीने तक नहीं मिल पाता है। एक वजह से भी है कि बाघों की सुरक्षा नहीं मिल पाने की वजह से इनकी संख्या दिनों दिन घटती जा रही है।
ऐसे में अब छत्तीसगढ़ सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। जिससे घटते बांघों की संख्या में इजाफा किया जा सके। वन विभाग को भी वन्य प्राणियों के संरक्षण में विशेष निगरानी की आवश्यकता है। यदि छत्तीसगढ़ में ऐसी ही स्थिति बनी रही तो वो दिन दूर नहीं जब बाघ विलुप्ति की कगार पर पहुंच जाएंगे। पिछले चार साल में जितनी तेजी से प्रदेश में बाघों की संख्या घटी है। उतना शायद ही किसी अन्य जानवरों की संख्या घटी हो।
इससे पहले 2014 में देश में बाघों की संख्या 2 हजार 226 सामने आई थी। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पिछले साल देशभर के टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क, अभ्यारण्य और सामान्य वन मंडलों में 28 पैरामीटर पर बाघों की गणना की. अब 2018 में यह संख्या 3 हजार हो गई है। मोदी ने कहा कि 9 साल पहले सेंट पीट्सबर्ग के सम्मेलन में 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन हमने इसे बीते चार साल में ही हासिल कर लिया। देश में टाइगर और संरक्षित इलाकों की संख्या बढ़ने का असर रोजगार पर भी पड़ता है. मैंने पिछले दिनों पढ़ा था कि रणथंबौर में बाघ देखने के लिए हजारों टूरिस्ट पहुंचते हैं। बाघों के लिए सरकार इंफ्रास्ट्रक्टर बढ़ा रही है।