छत्तीसगढ़

गौशालाओं को सख्ती से करना पड़ेगा इन नियमों का पालन

बिलासपुर। गौशालाओं को भी फूड एंड सेफ्टी का लाइसेंस लेना पड़ेगा। यह सभी पर समान रूप से लागू होगा,चाहे अनुदान प्राप्त गौशाला हो या फिर निजी। इन सभी को इस अनिवार्यता का पालन करना होगा। केंद्र सरकार ने कुछ इस तरह का फरमान जारी किया है।
डेयरी, ग्वाला के बाद इस कड़ी में अब एक और क्षेत्र को फूड एंड सेफ्टी लाइसेंस की अनिवार्यता से बांधा जा रहा है। सेवा भाव या किसी अन्य कारण से चल रही वे गौशालाएं जो दूध या दूध से बनी सामग्री बेचती हैं। उन्हें खाद्य एवं औषधि प्रशासन का लाइसेंस लेना होगा।
यह फैसला इसलिए किया गया है क्योंकि दूध में मिलावट की शिकायत प्रदेश ही नहीं देश स्तर पर भी बढ़ती ही जा रही है। ताजा-ताजा फैसले में ग्वालों से दूध के सैंपल लिए जाने का सिलसिला तेजी से शुरू कर दिया गया है। अब नजर गौशालाओं पर है।
समूचे प्रदेश में डेयरी का कारोबार जिस तेजी से फैल रहा है। उस में सबसे पहली कड़ी गौशाला ही थी। जिन्होंने इस कारोबार को पहचान दिलाई। देखा-देखी निजी क्षेत्र में भी डेयरी कारोबार ने विस्तार लिया। विस्तार के अनुपात में मिलावट की शिकायत भी बढ़ी।
इसे देखते हुए खाद्य एवं औषधि प्रशासन मुख्यालय ने प्रदेश की सभी गौशालाओं को फूड एंड सेफ्टी लाइसेंस बनवाने का आदेश जारी किया है जो दूध और दूध से बनी दूसरी सामग्री बनाती और बेचती हैं।
ये अनिवार्य
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के आदेश के मुताबिक गौशाला में काम करने वाले कर्मचारियों की एक निश्चित समयावधि में स्वास्थ्य परीक्षण करवाना अनिवार्य होगा। दूध निकालने वाले कर्मचारी को इस काम के दौरान अनिवार्य रूप से हेड कैप, मॉस्क, ग्लब्स पहनना होगा ताकि हाथ पैर या सिर की डस्ट से दूध पूरी तरह सुरक्षित रहे। पूरे परिसर में स्वच्छता पहली शर्त होगी। संग्रहण किए जाने वाला कक्ष एवं वहां का बर्तन पूरी तरह हाइजेनिक होने चाहिए।

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