नक्सलवाद को खत्म करने के साथ ही संसाधनों के पर भी चर्चा
रायपुर। छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने की कवायद शुरू हो गई है। बस्तर में फैले नक्सल बाड़ी में आखिरी कील किस तरह लगाई जाए, इसको लेकर खाका तैयार किया जा रहा है। इसमें एक ओर जहां नक्सलियों का उन्मूलन है, वहीं दूसरी ओर बस्तर का विकास भी शामिल है। इसको अमली जामा पहनाने के लिए केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने बुधवार को अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में आईबी चीफ अरविंद कुमार, डीजीपी छत्तीसगढ़, तेलंगाना व ओडिशा अधिकारियों के साथ ही सीआरपीएफ के डीजी और आईजी भी शामिल रहे।
कलेक्ट्रेट के बंद कमरे में सुबह करीब 11.30 बजे से शुरू हुई बैठक तीन घंटे तक चली। इस दौरान बैठक से मीडिया को दूर रखा गया। बैठक खत्म होने के बाद गृह सचिव बाहर निकले और मीटिंग में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो गए। अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में बस्तर में िवकास आधारित ऑपरेशन करने की बात कही गई है। कहा गया कि जब ऑपरेशन शुरू होता है तो नक्सली पीछे हट जाते हैं और करीब 4 से 5 दिन वहां स्थिरता बनी रहती है। ऐसे में उस इलाके में कनेक्टिविटी के कामों को आगे बढ़ाना आसान होगा, खासकर रोड कनेक्टिविटी।
गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि जवानों के ऑपरेशन इस तरह से प्लान किए जाएं कि उससे विकास के कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके। बैठक में नक्सलवाद को खत्म करने के साथ ही संसाधनों के ऊपर भी चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि बस्तर में 7 बटालियन को तैनात किया जाना है। इसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया था कि 2022 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद को उखाड़ फेकेंगे। हालांकि अधिकारियों की ओर से ऐसा कोई टारगेट देने या फिर सेट किए जाने को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।