धर्मांतरण सबसे बड़ी समस्या, संघ के साथ मिलकर करेंगे समाधान: आरएसएस मुख्यालय में बोले आदिवासी नेता अरविंद नेताम
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर मुख्यालय में आयोजित प्रशिक्षण..

नागपुर/रायपुर। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर मुख्यालय में आयोजित प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए धर्मांतरण को देश के आदिवासी इलाकों की सबसे बड़ी समस्या बताया। नेताम ने कहा कि इस गंभीर मुद्दे का समाधान सिर्फ आरएसएस और आदिवासी समाज के आपसी सहयोग से ही संभव है।
उन्होंने कार्यक्रम के मंच से सरकारों पर भी निशाना साधा और कहा, “विगत वर्षों में सरकारों ने सिर्फ दोषारोपण किया, लेकिन कभी कोई ठोस पहल नहीं की। धर्मांतरण की समस्या को लेकर कोई प्रभावी नीति या समाधान नहीं लाया गया।” नेताम ने जोर देते हुए कहा कि आरएसएस जैसी राष्ट्रवादी शक्तियों और आदिवासी समाज को मिलकर इस दिशा में निर्णायक कदम उठाना होगा।
संघ मुख्यालय में छत्तीसगढ़ के किसी आदिवासी नेता की पहली उपस्थिति
यह पहली बार है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने छत्तीसगढ़ से किसी आदिवासी नेता को अपने नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विचार रखने के लिए आमंत्रित किया है। इस ऐतिहासिक मौके को लेकर अरविंद नेताम ने लल्लूराम डॉट कॉम से बात करते हुए कहा कि, “यह छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए एक बड़ा संदेश है और आदिवासी समाज के लिए गौरवपूर्ण क्षण भी।”
उन्होंने बताया कि उन्हें स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से आमंत्रण मिला है। नेताम 3 जून को नागपुर पहुंचे और 3, 4 और 5 जून तक संघ मुख्यालय में मौजूद रहकर संघ की गतिविधियों को नजदीक से देखेंगे।
मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे
5 जून को आयोजित संघ के प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम में अरविंद नेताम बतौर प्रमुख अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे। उन्होंने कहा कि यह अवसर न सिर्फ व्यक्तिगत रूप से उनके लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आदिवासी समाज को लेकर संघ की सोच और समर्पण का भी प्रतीक है।
संघ के प्रति नेताम का रुख
अरविंद नेताम ने यह भी कहा कि संघ की विचारधारा को लेकर लंबे समय तक भ्रम फैलाया गया, लेकिन जब वे संघ के करीब आए और उसके काम को देखा, तो उन्हें लगा कि समाज के उत्थान के लिए संघ की सोच सकारात्मक और रचनात्मक है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की समस्याएं केवल राजनीतिक मंचों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर के संगठनों के साथ मिलकर ही हल की जा सकती हैं।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता अरविंद नेताम का संघ मुख्यालय में मंच साझा करना, और धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर खुलकर बात करना, आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति और सामाजिक दिशा को नया मोड़ दे सकता है। अब देखना होगा कि यह सहयोग धरातल पर कितना कारगर साबित होता है।



