वायु प्रदूषण के लिए 460 करोड़ रुपये, बाघों के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित
नई दिल्ली, 2 फरवरी| वित्तवर्ष 2022-23 के बजट में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आवंटन में बाघ, वायु प्रदूषण, वन्यजीव प्रबंधन और तटीय विकास पर ध्यान दिया गया है। मंत्रालय को 2022-23 के बजट में कुल 3,030.00 करोड़ रुपये मिले हैं, जो 2021-22 में 2,869.9 करोड़ रुपये था और 2013-14 में 2,630.2 करोड़ रुपये था।
इसने 2016 में एक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया था। यहां तक कि जब बहुत कुछ हासिल करना बाकी है, तो सरकार की गंभीर मंशा इस कारण के लिए आवंटन में वृद्धि दिखाई दे रही है। वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए बजट पिछले साल के 390 करोड़ रुपये की तुलना में 210 करोड़ रुपये बढ़कर 460 करोड़ रुपये हो गया, जो 2013-14 में 250 करोड़ रुपये से अधिक था।
मंत्रालय को वर्ष के दौरान बाघों की संख्या में वृद्धि पर गर्व है और इसके लिए इसने अपनी संरक्षण नीतियों को श्रेय दिया है। उच्च आवंटन को जारी रखते हुए इसे 2022-23 के लिए 300 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जो 2021-22 में 220 करोड़ रुपये से बढ़ गया, संयोग से उस दिन, जब डब्ल्यूडब्ल्यूएफ टाइगर्स द्वारा बाघों के लिए अंतर्राष्ट्रीय चंद्रवर्ष शुरू किया गया था।
वन पारिस्थितिकी तंत्र में प्रमुख प्रजातियों, बाघों के संरक्षण के लिए मंत्रालय को पिछले कुछ वर्षों से बढ़ी हुई धनराशि प्राप्त हो रही है। आवंटन 2020-21 में 195 करोड़ रुपये से अधिक है, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले वर्ष 2014-15 में 175 करोड़ रुपये से अधिक था।
इसी तरह, वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास के लिए 2022-23 के लिए आवंटन 510 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में 414 करोड़ रुपये था। (आईएएनएस)