Anti Naxal Operation: ऊंचे पहाड़, 44% तापमान में जवानों ने नक्सलियों को ऐसे घेरा.. हिड़मा, दामोदर, देवा का बच पाना मुश्किल
Anti Naxal Operation: छत्तीसगढ़ का कर्रेगट्टा… 3000 फीट ऊंचे पहाड़, 44 डिग्री तापमान और नीचे बिछे बारूदी सुरंगों से भरे जंगल। नक्सलियों के सबसे खतरनाक गढ़ में इस वक्त भारत का सबसे बड़ा

Anti Naxal Operation: छत्तीसगढ़ का कर्रेगट्टा… 3000 फीट ऊंचे पहाड़, 44 डिग्री तापमान और नीचे बिछे बारूदी सुरंगों से भरे जंगल। नक्सलियों के सबसे खतरनाक गढ़ में इस वक्त भारत का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन चल रहा है। CRPF, DRG, SIB और तीन राज्यों की फोर्स मिलकर जंगल की खाक छान रही हैं, ताकि हिड़मा, देवा, भीमा और दामोदर जैसे खूंखार नक्सली कमांडरों को ज़मीन से साफ किया जा सके। ऑपरेशन चार दिन से लगातार जारी है और इसने TCOC यानी Tactical Counter Offensive Campaign के प्लान को उल्टा कर दिया है। लेकिन इस पूरे मिशन में क्या है खास? और क्या यह ऑपरेशन नक्सलवाद की कब्र खोद पाएगा? आइए जानते हैं।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा पर मौजूद कर्रेगट्टा और नड़पल्ली के जंगल देश में नक्सलियों का सबसे खतरनाक ठिकाना माने जाते हैं। इसी इलाके में पिछले चार दिनों से एक मेगा ऑपरेशन चल रहा है, जिसमें करीब 5000 जवान शामिल हैं। इसमें छत्तीसगढ़ पुलिस, DRG, CRPF, BSF, ITBP, तेलंगाना और महाराष्ट्र पुलिस की टीमें कॉर्डिनेटेड तरीके से काम कर रही हैं।
ऑपरेशन की शुरुआत तेलंगाना के वेंकटपुरम और चेरला इलाकों से की गई, जहां से MI-17 हेलिकॉप्टर के जरिए जवानों और रसद की सप्लाई की जा रही है। लेकिन पहाड़ों और जंगलों में ऑपरेशन पूरी तरह पैदल ही चल रहा है। जवान 30 से 35 किलो का सामान लेकर 44 डिग्री की तपती गर्मी में पहाड़ चढ़ रहे हैं, जहां ऑक्सीजन की भी कमी है और हर कदम पर मौत बिछी है।
अब तक की मुठभेड़ों में 6 नक्सली ढेर किए जा चुके हैं, जिनमें तीन महिला नक्सलियों के शव बरामद हुए हैं। साथ ही भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक ज़ब्त किए गए हैं। 12 बंकर नुमा ठिकानों का भी भंडाफोड़ हुआ है, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया है। इन बंकरों में से एक तो 160 स्क्वायर फीट में बना कंक्रीट का स्ट्रक्चर था, जिसमें पंखे, सौर पैनल, नक्सली यूनिफॉर्म और राशन तक मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक इस ऑपरेशन का असली टारगेट हैं – पीएलजीए का चीफ और सीपीआई माओवादी का पोलित ब्यूरो मेंबर देवा, बटालियन-1 का कमांडर हिड़मा, और भीमा, सतीश और दामोदर जैसे टॉप नक्सली लीडर जो इसी इलाके में छिपे हुए हैं। इन्हें पकड़ना या मार गिराना ऑपरेशन की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जाएगी।
इस वक्त ऑपरेशन ऐसे समय में चल रहा है जब नक्सली TCOC यानी Tactical Counter Offensive Campaign चला रहे हैं। ये कैंपेन हर साल फरवरी से जून के बीच होता है, जिसमें नक्सली नई भर्ती, ट्रेनिंग, हथियारों की सप्लाई और लेवी वसूली जैसी गतिविधियां करते हैं। लेकिन इस बार इस ऑपरेशन ने उनके पूरे प्लान को तहस-नहस कर दिया है।
जंगल में फंसे नक्सलियों की पानी और राशन की सप्लाई काट दी गई है और उन पर लगातार निगरानी की जा रही है। ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन टेक्नोलॉजी से हर मूवमेंट ट्रैक किया जा रहा है। वहीं कुछ इलाकों में स्थानीय आदिवासियों की मदद से इनफॉर्मेशन नेटवर्क भी सक्रिय किया गया है।
सरकारी आंकड़ों की मानें तो पहले देश के 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, जो अब घटकर सिर्फ 21 जिले रह गए हैं। इनमें से भी 4 सबसे ज्यादा संवेदनशील जिले दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर छत्तीसगढ़ में हैं। गृह मंत्री अमित शाह का दावा है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह से खात्मा कर दिया जाएगा और इसके लिए सभी राज्यों को फ्री हैंड दिया गया है।
तो कर्रेगट्टा के जंगलों में चल रहा ये ऑपरेशन सिर्फ एक सुरक्षा अभियान नहीं, बल्कि नक्सलवाद के अंत की आखिरी स्क्रिप्ट लिख रहा है। अगर हिड़मा, दामोदर और देवा जैसे चेहरों को खत्म कर दिया गया, तो आने वाले वक्त में जंगलों में बंदूकें नहीं, सिर्फ विकास की आवाज़ गूंजेगी।