कृषि मेले के नाम पर करोड़ों खर्च , कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने जांच की घोषणा
रायपुर। कृषि मेले के नाम पर हुए करोड़ों रुपये खर्च के मामले में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने जांच की घोषणा की है। मंत्री ने विधानसभा में कहा कि संचालक को निर्देशित करेंगे कि इस मामले की जांच करें। कांग्रेस विधायक दलेश्वर साहू ने पूछा था कि राजधानी में आयोजित कृषि मेले रोटरी क्लब को क्यों साझीदार बनाया गया और उसके एवज में उसे 52 लाख रुपये का भुगतान क्यों किया गया?
उन्होंने पूछा था कि जब राज्य के पास सक्षम एजेंसियां थी, तो फिर रोटरी क्लब को साझीदार बनाने और उन्हें इतनी बड़ी राशि भुगतान करने के पीछे क्या उद्देश्य था। जवाब में मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि मेले में नोडल एजेंसी मंडी बोर्ड को बनाया गया था। किस आधार पर रोटरी क्लब को जोड़ा गया और भुगतान किस तरह से किया गया।
दलेश्वर साहू ने यह भी कहा कि उनके क्षेत्र में जो कृषि मेला आयोजित है वहां रोटरी जैसे संस्थाए न आए और 17 विभाग पूरे के पूरे आए।
मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मेलें को लेकर निर्णय तो हुए था फिछली सरकार ने किस आधार पर इस आयोजन में रोटरी कॉस्मोपॉलिटन को जोड़ा यह जांच का विषय है।
काजू, किसमिस खाता था सांड युवराज
इस सवाल के जवाब के बाद देश का प्रसिद्ध भैंसा युवराज का जिक्र भी सदन में खूब हुआ। इस दौरान सदन में हंसी ठिठौली का दौर भी खूब चला। दलेश्वर साहू ने पूछा कि 5 लाख रूपए खर्च करके सांड लाया गया और उसे केला, मौसमी, काजू, किसमिस खिलाने में कितना खर्च किया गया। इसकी जानकारी मांगी। जवाब में मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि 5 लाख खर्च कर युवराज को लाया गया।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने मुस्कुराते हुए पूछा क्यों लाया गया था। किस काम के लिए लाया गया था । दिखाने के लिए लाया गया था। अजय चंद्राकर ने उठकर कहा वो सांड नहीं था भैंसा था। सुनते ही पूरे सदन में हंसी छूट गई।
विधानसभा में एक बार लाया जाए
धरमजीत सिंह ने कहा कि उस भैसा को एक बार फिर विधानसभा में भी लाया जाये, और हम सबको दिखाया जाये और उसे मेले में जो लाने का आर्डर, अधिकारी ने किया है उसको लाने का आर्डर क्यों किया। उसका नागरिक अभिनंदन भी यही कर दो। मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इतने महंगे भैसे को यहां लाने की जरूरत नहीं है।
युवराज का जिक्र हुए तो रविन्द्र चौबे ने कहा कि मै युवराज का नाम सुनकर सोच रहा था कि छक्का मारने वाले युवराज की बात हो रहीं होगी। यहां तो हरियाण से नाम का सांड लाया गया था।