छत्तीसगढ़

मोहब्बत, अदावत, वफा और बेवफाई, किराये के घर हैं , बदलते रहेंगे…

बस्तर से दिग्गज राजनीतिक परिवार से इस बार किनारा

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अपने सभी 10 लोकसभा सदस्यों के टिकट काटने के निर्णय सें 7 बार लगातार सांसद बनने का रिकार्ड बनाने वाले बुजुर्ग रमेश बैस से लेकर पहली बार सांसद बनने वाले युवा नेता अभिषेक रमन सिंह भी शामिल है। इस बार नये प्रत्याशी मैदान में उतारने की पहल शुरू हो गई है। भाजपा ने अपनी पहली सूची में पांच नए चेहरों को मौका दिया गया है । वहीं कांग्रेस ने भी पहली और दूसरी सूची में 9 लोगों को चुनाव समर में उतारा है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। ऐसा लगता है कि इस बार का चुनाव छग में दिलचस्प होगा। क्योंकि बस्तर से बलीराम कश्यप, महेन्द्र कर्मा, अरविंद नेताम तथा मनकूराम सोढ़ी का परिवार इस बार चुनाव समर में नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी पिछले 15 सालों से छत्तीसगढ़ में सत्ता में रही। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस की 68 विधानसभा क्षेत्रों में फतह की। जोगी कांग्रेस-बसपा गठबंधन की 7 विधानसभा सीटों में कब्जा करने और कई जगहों पर वोट काटने के कारण कुछ विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त किया नहीं तो 15 सीट भी नहीं आती।
खैर भाजपा का राज्य और केन्द्र का संगठन नेतृत्व कुछ कन्फ्यूज लग रहा है। एक तरफ बतौर विधानसभा अध्यक्ष चुनाव हारने के पश्चात धरमलाल कौशिक को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया और उनके नेतृत्व में 15 साल के शासन बनाम 15 सीट आने पर उन्हें छग विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया। वहीं बतौर लोकसभा सदस्य विक्रम उसेंडी को विधानसभा चुनाव में उतारा गया वे तो स्वयं चुनाव हार गये वहीं उनकी लोकसभा के अंतर्गत आने वाली सभी 8 विधानसभाओं में भी भाजपा की हार हुई। उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनकी भी लोकसभा टिकट काट दी गई। जिन्हें खुद एक विधानसभा में जीतने योग्य नहीं समझा गया उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में 11 सीट जीतने का दावा किया जा रहा है। 15 साल तक भाजपा मुख्यमंत्री रहकर 3 लोकसभा चुनाव में 11 में 10 सीटों पर जीत दिलाने वाले डॉ. रमन सिंह पर इतना भी भरोसा नहीं रहा कि वे अपने बेटे अभिषेक सिंह को जीता सकते हैं? वैसे 15 सीटें छग विधानसभा में लाने पर पुरस्कार स्वरूप डॉ. रमन सिंह को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है।
तो विद्या की बराबरी कर लेते बैस…….
71 वर्षीय रमेश बैस की टिकट भी काट दी गई है। 7 बार एक ही लोकसभा रायपुर से भाजपा की जीत का परचम लहराने वाले रमेश बैस के खाते में पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, छग कांग्रेस सरकार के मुखिया भूपेश बघेल, कांग्रेस के दिग्गज नेता सत्यनारायण शर्मा को पराजित करने का श्रेय है। ज्ञात रहे कि भाजपा के लौह पुरुष लालकृष्ण आडवाणी तो गांधीनगर से 6 बार ही चुनाव जीते हैं जबकि रमेश बैस 7 बार जीत चुके हैं। इस बार यदि रमेश बैस को लोकसभा की टिकट मिलती और वे जीत जाते तो विद्याचरण शुक्ल के आठ वार जीतने के रिकार्ड की बराबरी कर
लेते । ज्ञात रहे कि विद्याचरण शुक्ल रायपुर और महासमुंद से 8 बार चुनाव जीते थे। इंदिरा गांधी के समय से काफी पावरफूल मंत्री रहे पर रमेश बैस केवल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ही मंत्री रहे। उनसे एक बार अधिक 8 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली सुमित्रा महाजन को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया तो रमेश बैस को मंत्रिमंडल में शामिल करने नरेन्द्र मोदी ने विचार नहीं किया। उनके स्थान पर रायगढ़ से विजयी विष्णुदेव साय को मंत्रिमंडल में स्थान दिया पर उनकी भी इस बार टिकट काट दी गई। कांगे्रस ने जरूर जांजगीर-चांपा लोकसभा से 6 बार के सांसद तथा अविभाजित म.प्र. के कांग्रेस अध्यक्ष रहे परसराम भारद्वाज के पुत्र को प्रत्याशी बनाया है। उनके बेटे रविभारद्वाज कांग्रेस के प्रत्याशी है।
कश्यप, कर्मा, नेताम परिवार………
छत्तीसगढ़ के बस्तर में लोकसभा-विधानसभा चुनावों में भाजपा नेता स्व. बलीराम कश्यप, कांग्रेस के नेता महेन्द्र कर्मा, मनकूराम सोढ़ी तथा अरविंद नेताम या उनके परिजनों को प्राथमिकता मिलती रही है। स्व. बलीराम कश्यप 4 बार बस्तर से सांसद रहे उनके निधन के पश्चात 2 बार उनके पुत्र दिनेश कश्यप सांसद चुने जाते रहे तो दूसरे पुत्र केदार कश्यप छग की भाजपा सरकार में तीन बार मंत्री बनते रहे इस बार दिनेश कश्यप की भी टिकट काट दी गई है। मप्र विकास कांग्रेस के बेनर तले निर्दलीय सांसद बनने वाले नेता प्रतिपक्ष रहे, छग सरकार में मंत्री रहे महेन्द्र कर्मा की पत्नी भी हाल के विधानसभा चुनाव में पराजित हो गई और लोस चुनाव में इनके परिवार से किसी को प्रत्याशी बनाने विचार नहीं किया गया। जहां तक अरविंद नेताम का हाल है तो कांकेर से कांग्रेस की टिकट बनने के बाद केन्द्र में शिक्षा, समाज कल्याण तथा संस्कृति उपमंत्री (73-77 तक) बाद में कृषि राज्यमंत्री (93-96 तक) रहने के बाद बसपा-भाजपा-कांग्रेस आने-जाने के कारण उन्हें इस बार मौका नहीं मिला । उनकी पत्नी छबीला भेडिय़ा सांसद रही तो उनके भाई शिव नेताम भी मप्र सरकार में मंत्री रहे। अरविंद नेताम भी 5 बार सांसद रहे। एक और कांग्रेस के सांसद मनकूराम सोढ़ी भी सांसद रहे। उनके बेटे शंकर सोढी भी छग सरकार में मंत्री रहे, पर इस बार इस परिवार को भी विधानसभा-लोकसभा में मौका नहीं मिला है। कुल मिलाकर इस बार राज्य में सत्ताधारी दल ने अभी तक 9 फ्रेश प्रत्याशी घोषित किया है तो भाजपा ने भी कुछ ऐसा ही किया।
सरगुजा से रेणुका सिंह (भाजपा), खेलसाय सिंह (कांग्रेस), बस्तर से बेदूराम कश्यप (भाजपा), दीपक बैज (कांग्रेस), जांजगीर से गुहाराम अजगले (भाजपा), रवि भारद्वाज (कांग्रेस), कांकेर से मोहन मंडावी(भाजपा), वीरेश ठाकुर (कांग्रेस), रायगढ़ से गोमती साय (भाजपा), लालजीत राठिया (कांग्रेस) से नाम तय किये है वहीं कांग्रेस ने रायपुर लोकसभा से महापौर प्रमोद दुबे, बिलासपुर से अटल श्रीवास्तव, महासमुंद से धनेन्द्र साहू तथा राजनांदगांव से भोलाराम साहू को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
नायक, उपाध्याय, सिंह इसी साल होंगे रिटायर
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बाद प्रशासन तथा पुलिस विभाग में एक बड़ा फेरबदल होना तय माना जा रहा है, कुछ कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक और आईजी बदल सकते हैं। छत्तीसगढ़ के दो महानिदेशक स्तर के अधिकारी जुलाई-अगस्त 19 में तो एक अन्य अधिकारी दिसंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनके स्थान पर नये पुलिस अफसरों की नियुक्ति होगी। छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह सरकार में लंबे समय तक ओएसडी तथा डीजीपी रहे तथा वर्तमान में पुलिस गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष एएन उपाध्याय अगस्त 2019 यानि लोकसभा चुनाव के 2-3 माह बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर जेल होमगार्ड तथा एसआईबी के मुखिया गिरधारी नायक जुलाई 2019 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। वहीं महानिदेशक स्तर के अफसर हाल ही में छत्तीसगढ़ वापस लौटे तथा वर्तमान में एसीबी तथा ईओडब्लु के मुखिया विनय कुमार सिंह इसी वर्ष दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
वर्तमान में पुलिस महानिदेशक के रूप में दुर्गेश माधव अवस्थी कार्यरत हैं। वहीं स्पेशल डीजी के रूप में संजय पिल्ले (डीजी गुप्त वार्ता) तथा आर.के. विज (स्पेशल डीजी) कार्यरत हैं। वहीं तीसरे डीजी स्तर के अफसर मुकेश गुप्ता चूंकि निलंबित है इसलिए उन पर विचार होगा संभव नहीं लगता है। ऐसे में संजय पिल्ले तथा आर. के. विज को रिक्त होने वाले पदों में पदस्थ किया जा सकता है। वहीं इन दोनों अफसरों के बाद वरिष्ठ अफसर अशोक जुनेजा को भी कहीं समायोजित किया जा सकता है वे अभी एडीजी प्रशासन के पद पर कार्यरत हैं। वैसे चर्चा तो यह भी है कि कुछ महत्वपूर्ण मामलों की जांच का जिम्मा गिरधारी नायक के पास है वहीं नान, सहित अंतागढ़ मामले, मुकेश-रेखा नायर टेपकांड जैसे महत्वपूर्ण मामले की जांच प्रभावित न हो इसलिए इन्हें 6 माह एक्सटेंशन भी दिया जा सकता है, पर यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकसभा चुनाव के बाद की निर्भर करेगा।
और अब बस…
0 भाजपा ने लोकसभा में 2 महिला उम्मीदवार रेणुका सिंह, गोमती साय को चुनाव समर में उतारा है। इससे दूर्ग सीट से प्रतिमा चंद्राकर की उम्मीद बढ़ गई है। ज्ञात रहे कि किरणमयी नायक के प्रबल दावे के बीच रायपुर से प्रमोद दुबे प्रत्याशी घोषित हो गये हैं।
0 रमेश बैस की काट तथा कुर्मी नेता उतारने में क्या भाजपा सफल होगी… वैसे चर्चा है कि एक पूर्व मंत्री का नाम सबसे उपर है हालांकि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उसके नाम पर सहमत होंगे ऐसा लगता नहीं है।
0 मोतीलाल वोरा के पुत्र अरूण वोरा का पुत्र अब राजनीति में उतर गए है। जब इंदिरा-राजीव-राहुल-प्रियंका उतर सकते हैं तो….।
0 मिनी माता छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा नाम रहा है, उसके बाद उनकी विरासत विजय गुरु ने सम्हाली थी अब रुद्रकुमार गुरु (तीसरी पीढ़ी) छग सरकार में मंत्री है।
0 छग में सरकार बनाने प्रमुख भूमिका निभाने वाले टीएस सिंहदेव (बाबा) को उड़ीसा प्रदेश में लोकसभा चुनाव का क्यों प्रभारी बनाया गया… जवाब मप्र में भी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को उप्र का प्रभारी बनाया गया है?

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