छत्तीसगढ़

कांग्रेस की पत्रवार्ता पर भाजपा का पलटवार

कांग्रेस सहकारिता चुनाव आयुक्त को कठपुतली बनाना चाहती है

रायपुर। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अशोक बजाज ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को कुचल देना चाहती है। संविधान और सहकारिता की भावना के उलट भूपेश सरकार सहकारिता चुनाव को प्रभावित करने के लिए सहकारिता चुनाव आयुक्त को कठपुतली बना देना चाहती है।
श्री बजाज ने कहा कि सहकारी संस्थाओं के निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव कराने के लिए संविधान के 97 वें संशोधन अधिनियम के अनुरूप प्रदेश में सहकारी चुनाव आयोग का गठन किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2011 में 97वें संशोधन विधेयक के द्वारा सहकारी संस्थाओं के निष्पक्ष चुनाव के लिए एक स्वतंत्र इकाई गठन करने का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2012 में यह संशोधन लागू हुआ और सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ सरकार ने 2013 में इसे लागू किया।
सहकारी चुनाव आयोग के गठन के पीछे संविधान की मंशा यह है कि सहकारी संस्थाओं के चुनाव सरकार या सरकारी तंत्र के दबाव से मुक्त रहे लेकिन दुर्भाग्यजनक ढंग से 5 जुलाई 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने सहकारी नियम 49ञ में संशोधन कर सहकारी आयुक्त के कार्यकाल को सरकार के प्रसाद पर्यन्त करने का प्रावधान कर दिया। इस संशोधन का आशय यह है कि सहकारी निर्वाचन आयुक्त सरकार की कृपा पर रहेगा। जब तक सरकार की कृपा होगी वह अपने पद पर रहेगा यदि सरकार की कृपा नहीं रही तो जब चाहे तब हटा दिया जायेगा।
श्री बजाज ने कहा कि कोई भी सांवैधानिक पद सरकार के प्रसाद पर्यन्त रहेगा तो उस पद पर बैठा अधिकारी निष्पक्ष न्याय कैसे करेगा? सरकार का यह संशोधन विधि विरूद्ध एवं अनैतिक है। अत: सहकारी निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल में राज्य सरकार के प्रसाद पर्यन्त सम्बंधी प्रावधान को हटाकर सहकारी नियम 49ञ उप नियम (1) खंड (तीन) को पुनस्र्थापित किया जाय।

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