स्वास्थ्य विभाग के आदेश से भड़का मीडिया, कवरेज पर लगाई गई पाबंदी को लेकर मचा सियासी घमासान
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के एक आदेश ने सूबे की सियासत और पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे..

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के एक आदेश ने सूबे की सियासत और पत्रकारिता जगत में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस आदेश में प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में मीडिया कवरेज को जनसंपर्क विभाग की पूर्व अनुमति से जोड़ा गया है। इतना ही नहीं, मरीजों की फोटो या वीडियो लेने पर भी रोक लगा दी गई है, जब तक कि मरीज या उसके अभिभावक की लिखित सहमति न हो।
इस आदेश में दावा किया गया है कि यह मीडिया प्रबंधन के लिए बनाए जा रहे प्रोटोकॉल का हिस्सा है, लेकिन इसे राजधानी रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में हाल ही में हुए बाउंसर विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस फैसले का जमकर विरोध हो रहा है। पत्रकारों से लेकर राजनीतिक दलों तक ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
टीएस सिंहदेव ने जताया विरोध
छत्तीसगढ़ के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस आदेश पर नाराज़गी जताते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
भाजपा सरकार ने प्रदेश में मनमानी की सारी सीमाएं पार कर, अब मीडिया पर शिकंजा कसने की शर्मनाक कोशिश शुरू कर दी है।
गोपनीयता और प्रोटोकॉल के नाम पर:
– अस्पतालों में मीडिया के प्रवेश पर रोक,
– हर रिपोर्ट के लिए पूर्व लिखित अनुमति अनिवार्य,
– और कवरेज कब, कैसे और कितनी हो, ये भी अब…— T S Singhdeo (@TS_SinghDeo) June 18, 2025
प्रेस क्लब ने की कड़ी निंदा
रायपुर प्रेस क्लब ने भी स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय को अलोकतांत्रिक बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। पत्रकारों का कहना है कि यह फैसला न केवल प्रेस की आज़ादी पर हमला है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में पारदर्शिता खत्म करने की कोशिश भी है।
‘मीडिया के लिए आपातकाल’ – दीपक बैज
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे सीधे-सीधे मीडिया पर आपातकाल लगाने की साजिश बताया। उन्होंने कहा,
“भाजपा सरकार स्वास्थ्य विभाग की बदहाली को छुपाने के लिए मीडिया को रोक रही है। मेकाहारा की घटनाएं हों या ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा – सरकार नहीं चाहती कि इन सच्चाइयों को सामने लाया जाए। इसलिए मीडिया के प्रवेश पर रोक लगाई जा रही है।”
सरकार की चुप्पी बनी सवाल
इस पूरे मामले पर अब तक न तो स्वास्थ्य मंत्री और न ही राज्य सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है। लेकिन सोशल मीडिया पर आम जनता, पत्रकारों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों द्वारा आदेश को लेकर सरकार से जवाब मांगा जा रहा है।
क्या है आदेश का मूलभाव?
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार:
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मीडिया को मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में कवरेज से पहले जनसंपर्क विभाग से अनुमति लेनी होगी।
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मरीजों की फोटो या वीडियो बिना उनकी या उनके अभिभावक की लिखित अनुमति के नहीं ली जा सकती।
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आदेश में “मीडिया प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल” का हवाला दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग का यह फैसला न सिर्फ मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि इसे सरकार की आलोचना से बचने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस पर स्पष्टीकरण देती है या नहीं, लेकिन फिलहाल इस आदेश ने न सिर्फ सियासी पारा चढ़ाया है, बल्कि पत्रकारिता जगत को भी आंदोलित कर दिया है।