छत्तीसगढ़

Chhattisgarh Anti-Naxal Operation: लाल आतंक की उलटी गिनती, एक-एक कर गिरे शीर्ष माओवादी, संगठन का कमांड ढांचा बिखरा

Chhattisgarh Anti-Naxal Operation: कभी 10 राज्यों तक फैले माओवादी संगठन CPI (माओवादी) का नेटवर्क अब पूरी तरह चरमराने...

रायपुर। Chhattisgarh Anti-Naxal Operation: कभी 10 राज्यों तक फैले माओवादी संगठन CPI (माओवादी) का नेटवर्क अब पूरी तरह चरमराने लगा है। शीर्ष नेता नंबला केशव राव उर्फ बसवराजू के मारे जाने के बाद संगठन के सामने गहरा नेतृत्व संकट खड़ा हो गया है। अब केंद्रीय कमेटी (CC) में सिर्फ 14 सक्रिय सदस्य बचे हैं, जिनमें से सिर्फ 4 पोलित ब्यूरो (PB) के हैं।

छत्तीसगढ़ और दंडकारण्य में अब माओवादियों के करीब 300 सशस्त्र कैडर ही सक्रिय हैं, जिनके पास आत्मसमर्पण या मारे जाने के अलावा कोई तीसरा विकल्प नहीं बचा। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई और रणनीतिक ऑपरेशनों ने माओवादी संगठन को बुरी तरह हिला दिया है।

नेतृत्व के शीर्ष पर भारी गिरावट

माओवादी संगठन के नंबर 1 नेता बसवराजू की मौत संगठन के लिए सबसे बड़ा झटका रही। उनकी सुरक्षा टीम समेत छत्तीसगढ़ पुलिस ने उन्हें मार गिराया। इसके साथ ही 2005 से अब तक पोलित ब्यूरो के कुल 14 सदस्य या तो मारे जा चुके हैं, गिरफ्तार किए जा चुके हैं या बीमारी से मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं।

अब संगठन के सक्रिय PB सदस्यों में केवल चार नाम बचे हैं:

  • गणपति (मुप्पल्ला लक्ष्मण राव)

  • अभय (मल्लोजुला वेणुगोपाल)

  • देवजी (थिप्पिरी तिरुपति)

  • मिसीर बेसरा

इनमें से बसवराजू की जगह लेने की दौड़ में अभय और देवजी के नाम आगे चल रहे हैं, दोनों तेलंगाना से हैं। हालांकि, CPI (माओवादी) ने आधिकारिक उत्तराधिकारी की घोषणा अब तक नहीं की है।

केंद्रीय कमेटी का हाल

2007 से अब तक CC के 26 गैर-PB सदस्य या तो गिरफ्तार हुए हैं, आत्मसमर्पण कर चुके हैं या बीमारी से मारे जा चुके हैं। CC के 14 सक्रिय सदस्यों में अब नाम शामिल हैं:

  • कदारी सत्यनारायण रेड्डी

  • चंद्रन्ना

  • मोडेम बालकृष्ण

  • गणेश उइके

  • गजरला रवि

  • अनल दा

  • मदवी हिडमा

  • के. रामचंद्र रेड्डी

  • सुजाता

  • मल्ला राजा रेड्डी

IGP सुंदरराज पी के मुताबिक, “माओवादी संगठन का कमांड स्ट्रक्चर लगभग खत्म हो गया है। ऑपरेशनों और आत्मसमर्पणों की वजह से पूरा तंत्र बिखर चुका है।”

शांति वार्ता की कोशिशें नाकाम

हाल ही में संगठन ने युद्धविराम और बातचीत के संकेत दिए थे, लेकिन किसी भी वरिष्ठ नेता ने आत्मसमर्पण की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया। अधिकारियों का मानना है कि इसके पीछे उनका ‘अहंकार’ और रणनीतिक भ्रम है।

PB पतन की कहानी 2005 से शुरू

  • 2005: सुशील रॉय की गिरफ्तारी से गिरावट शुरू

  • 2006-2011: झंटू मुखर्जी, नारायण सान्याल, किशनजी और आजाद जैसे कई बड़े नेता मारे या गिरफ्तार हुए

  • 2008-2023: प्रमोद मिश्रा, कोबाड गांधी, अमिताभ बागची, विजय कुमार आर्य, प्रशांत बोस, कंचन दा, बी.वी. कृष्णा मूर्ति, संजय दीपक राव सहित कई नाम या जेल में हैं या मारे जा चुके हैं

अब क्या बचा है संगठन के पास?

माओवादियों के पास अब केवल सीमित संसाधन, टूट चुकी संरचना और 300 कैडर बचे हैं जो पहाड़ी इलाकों और जंगलों में छिपे हैं। लेकिन खुफिया नेटवर्क की मजबूती और सुरक्षा बलों की रणनीति से वे भी जल्द सामने आने को मजबूर होंगे।

लाल आतंक की कमर अब टूट चुकी है। एक दौर में जिन नामों से खौफ पैदा होता था, आज वही या तो जेल में हैं, मारे जा चुके हैं या हथियार डाल चुके हैं। CPI (माओवादी) का नेतृत्व अब एक छाया मात्र रह गया है — जिसकी अंतिम परतें भी उजड़ने को हैं।

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