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Pune Bridge Collapse: 1990 में बना था ब्रिज, कभी नहीं हुआ ऑडिट, हादसे में 4 की मौत, कई अब भी लापता

Pune Bridge Collapse: महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तालुका में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना पुल अचानक...

Pune Bridge Collapse: महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तालुका में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना पुल अचानक टूट गया। इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है, और अब तक 51 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।

35 साल पुराना पुल, कभी नहीं हुआ स्ट्रक्चरल ऑडिट

हादसे के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, वे सरकारी लापरवाही की पोल खोल रहे हैं। जानकारी के अनुसार यह पुल साल 1990 में बनाया गया था, लेकिन इतने वर्षों में कभी भी इसका स्ट्रक्चरल ऑडिट नहीं हुआ। स्थानीय लोगों का दावा है कि पिछले कई वर्षों से यह पुल जर्जर हालत में था, और सरकारी विभागों को समय-समय पर इसकी शिकायतें दी गई थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

क्षमता से अधिक लोग और वाहन बने हादसे की वजह

हादसा कुंदमाला क्षेत्र में हुआ, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। रविवार होने की वजह से यहां पर्यटकों की भारी भीड़ थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब पुल टूटा तब उस पर करीब 7-8 मोटरसाइकिलें और कई लोग एक साथ मौजूद थे। यह पुल इतना संकरा था कि एक समय में सिर्फ एक बाइक और दो लोग ही पार कर सकते थे, लेकिन ज्यादा भीड़ के चलते पुल पर जाम की स्थिति बन गई और निकलने का रास्ता भी नहीं बचा।

पुलिस को मिली थी जानकारी, कुछ देर खाली भी कराया गया था

गांववालों ने रविवार दोपहर करीब 12 बजे पुलिस को सूचना दी थी कि पुल पर बहुत ज्यादा भीड़ है। इसके बाद चार पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और भीड़ को हटाने की कोशिश की। कुछ समय के लिए पुल खाली भी हो गया था, लेकिन पुलिस के जाने के बाद फिर से लोग वहां इकट्ठा हो गए और कुछ ही घंटों में हादसा हो गया।

बारिश बनी बड़ी वजह, नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा था

पिछले दो दिनों से मावल क्षेत्र में लगातार भारी बारिश हो रही थी, जिससे इंद्रायणी नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया था। उफनती नदी और कमजोर पुल की वजह से यह हादसा और भी भयावह बन गया। बचाव अभियान में क्रेन और गोताखोरों की मदद से पुल के मलबे को हटाया जा रहा है और लापता लोगों की तलाश की जा रही है।

पांच साल पहले की गई थी पुल बंद करने की मांग

जानकारी के अनुसार पांच साल पहले सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) से पुल को बंद करने की मांग की गई थी। दो साल पहले गांववालों ने ग्राम पंचायत और PWD को लिखित में इसकी मरम्मत और पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग भी की थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पुल की मरम्मत के लिए पिछले साल तत्कालीन मंत्री रविंद्र चव्हाण ने बजट को मंजूरी भी दी थी, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका।

सरकारी लापरवाही से गई मासूम जानें

इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पुरानी और जर्जर संरचनाओं का समय पर ऑडिट और मरम्मत क्यों नहीं की जाती? गांववालों की बार-बार दी गई चेतावनी, पुल की जर्जर स्थिति और प्रशासन की अनदेखी—सबने मिलकर इस दुर्घटना को जन्म दिया।

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